सोमवार, 20 सितंबर 2010

धर्म निरपेक्षता


धर्म निरपेक्षता

धर्म निरपेक्षता


धर्म निरपेक्षता

सोमवार, 30 अगस्त 2010


हिंदू पुलिसवाले नहीं रख सकेंगे दाढ़ी
अहमदाबाद, जागरण संवाददाता : भले ही गुजरात में हिंदू हितों की दुहाई देने वाली भाजपा की सरकार है, बावजूद इसके आजकल राज्य के पुलिस विभाग में आस्था और कानून की जंग छिड़ी हुई है। दरअसल राज्य के कई पुलिसकर्मी गुजराती श्रावण मास का उपवास रख रहे हैं, जिसके चलते उनकी दाढ़ी बढ़ गई है। पुलिस आयुक्त के निर्देश पर उपवासी पुलिसकर्मियों को दाढ़ी कटवाने का फरमान सुनाया गया है। संयुक्त पुलिस आयुक्त अतुल करवल ने अहमदाबाद के सभी पुलिस थानों, चौकी, पीसीआर वैन, मोबाइल वैन को आदेश जारी किया है, जिसके अनुसार राज्य के किसी भी पुलिसकर्मी को श्रावण मास में दाढ़ी रखने की छूट नहीं है। उपवास कर रहे जिन पुलिसकर्मियों की दाढ़ी बढ़ गई है उसे तुरंत कटवा लेने के निर्देश दिए गए हैं। करवल ने बताया कि समुदाय विशेष को छोड़कर दाढ़ी रखने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जाएगी। उपवास रखने वाले पुलिसकर्मियों ने दाढ़ी रखने की छूट मांगी थी जिसे खारिज कर दिया गया था। इसके बावजूद पुलिसकर्मियों ने उपवास शुरू कर दिया और दाढ़ी नहीं कटवाई। इससे चिंतित आला अधिकारी अब दाढ़ी कटवाने का दबाव डाल रहे हैं।

Courtesy: Dainik Jagran 30.08.2010

मंगलवार, 20 जुलाई 2010


शहर ने दिया उत्तर भारत को पहला सिनेमा
कानपुर, शिक्षा संवाददाता : उत्तर भारत में औद्योगिक शुरुआत के साथ-साथ व्यवस्थित सिनेमा का श्रीगणेश भी कानपुर से ही हुआ था। कोलकाता की एक कंपनी चवरिया टाकीज प्राइवेट लिमिटेड ने यहां 1929 में पहला सिनेमाघर बैकुंठ टाकीज की स्थापना की। 1930 में इसे पंचम सिंह ने खरीद लिया और नाम बदलकर कैपिटल टाकीज कर दिया। चूंकि पूरा सिनेमाघर टिन के नीचे था, इसलिए इसको भड़भडि़या टाकीज भी कहते थे। क्राइस्टचर्च कालेज के इतिहास विभाग के एचओडी प्रो. एसपी सिंह कहते हैं कि 1930-40 का दशक कानपुर के सिनेमा का स्वर्णिम युग था। यहां 1936 में मंजुश्री (प्रसाद बजाज) जो आज भी स्टेशन के पास चल रहा है, 1936-37 में शीशमहल, जहां अब शापिंग काम्प्लेक्स है की स्थापना हुई। 1946 में गुमटी नंबर पांच रेलवे लाइन के किनारे जयहिंद टाकीज बनी। यह अब व्यवसायिक मार्केट में बदल गया। इसी साल न्यू बसंत (जवाहर लाल जैन) व शालीमार (लाला कामता प्रसाद) सिनेमाघर बने। ये दोनो बंद हो चुके हैं। 1940-41 में इंपीरियल सिनेमाघर बना था। इसमें भी ताला पड़ गया है। सबसे पहले 1920 में अंग्रेजों ने अपने लिए कुछ सिनेमाघर बनाये थे। इनमें से कुछ बंद हो गये तो कुछ कालांतर में भारतीयों के हाथ बिक गये। उदाहरण के लिए अंग्रेजों ने एस्टर व प्लाजा टाकीजें बनाईं थी जिसका बाद में नाम क्रमश: मिनर्वा तथा सुंदर पड़ा। बाद में शालीमार का नाम डिलाइट हो गया। टाकीज को सुंदर सुव्यवस्थित बनाने की शुरुआत दादा साहेब फाल्के पुरस्कार विजेता सूरज नारायण गुप्ता ने नारायण टाकीज बनाकर की। नारायण एअर कूलिंग, प्लास्टर ऑफ पेरिस जड़ी दीवारों सहित दूसरी तकनीक से युक्त थी। 70 व 80 के दशक में सिनेमाघर भव्य होने लगे। हीर पैलेस, सत्यम, अनुपम, संगीत, गुरुदेव, संगम, पम्मी, इम्पीरियल आदि इसी श्रेणी की टाकीजें हैं। बाद में नारायण, अनुपम, नटराज, न्यूबंसत व नटराज एक साथ बंद हुए। इनके भवनों का उपयोग दूसरे कामों में हो रहा है। सबसे पहले देखी आलमआरा कानपुर में सबसे पहली फिल्म आलमआरा दिखायी गयी। पहली टेक्नीकलर फिल्म झांसी की रानी दिखायी गयी। सबसे लंबी फिल्म जो दिखायी गयी वह हातिमताई थी। 1933 में कैपिटल में लगी यह फिल्म 52 रीलों की थी। दस घंटे की यह फिल्म शाम 6 बजे शुरू होकर सुबह 4 बजे समाप्त होती थी। चार इंटरवल होते थे। जब छपा टिकट या पास नहीं था तो हाथ पर मुहर लगाकर लोगों को टाकीज में जाने की अनुमति मिलती थी। पहले सिनेमाघरों ने अपनी-अपनी पसंद वाले विषयों की फिल्में चुन रखीं थी। रीगल हमेशा अंग्रेजी, कैपिटल मारधाड़, मंजुश्री धार्मिक, विवेक ऐतिहासिक व सुंदर पारिवारिक फिल्में दिखाता था। रिकार्ड बने कानपुर में सबसे पहले मदर इंडिया ने (सुंदर टाकीज 25 हफ्ते) सिल्वर जुबली मनायी। सबसे अधिक चलने वाली फिल्म शोले (75 हफ्ते, संुदर टाकीज) रही। मुगले आजम (60 हफ्ते विवेक टाकीज), गंगा यमुना (50 हफ्ते, सुंदर टाकीज) ने रिकार्ड बनाया। काजल, गाइड, पालकी, मेरे महबूब, दिल लिया, राम श्याम, सावन भादौं आदि फिल्में एक ही टाकीज में 25 हफ्ते तक चलीं।

साभार दैनिक जागरण कानपुर संस्करण दिनांक 20.07.2010

सोमवार, 5 जुलाई 2010

पेट्रोल की कीमत


एक लीटर पेट्रोल की कीमत 16.50 रुपये!
लखनऊ,जासं : एक लीटर पेट्रोल के लिए 54.87 रुपये खर्च करने वाले क्या जानते हंै कि तेल की वास्तविक कीमत क्या है? यदि नहीं तो जान लीजिये, एक लीटर पेट्रोल कीमत 16.50 रुपये है। बाकी सब टैक्स। एक जानकारी और लीजिए। देश में एक लीटर पेट्रोल पर 11.80 रुपये केंद्रीय कर, 9.75 रुपये एक्साइज ड्यूटी, चार रुपये सेस के साथ ही प्रदेश सरकार आठ रुपये टैक्स लेती है। सब मिलाकर एक लीटर पेट्रोल की कीमत होती है, 48.05 रुपये। बाकी का पैसा कहां जाता है, मालूम ही नहीं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी स्टेट काउंसिल द्वारा जारी आंकड़ों में तेल के पीछे चल रहे खेल पर निशाना साधा गया है। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में एक लीटर पेट्रोल 26 रुपये लीटर, बांग्लादेश में 22 रुपये लीटर, नेपाल में 24 रुपये लीटर, अफगानिस्तान में 36 रुपये लीटर, बर्मा में 30 रुपये लीटर, क्यूबा में 19 रुपये लीटर और कतर में एक लीटर पेट्रोल 30 रुपये में है। उधर, लखनऊ पेट्रोलियम ट्रेडर्स एसोसिएशन भी प्रत्येक लीटर पेट्रोल पर काफी टैक्स लगने की बात कहता है। एसोसिएशन सदस्यों का कहना है कि तेल कंपनियों द्वारा पेट्रोल पंप को जारी बिलों में सारे टैक्स शामिल रहते हैं और इनका ब्योरा नहीं रहता है। इन बिलों के ऊपर डीलर प्रति लीटर पेट्रोल करीब 1.08 रुपये तथा प्रति लीटर डीजल 67 पैसे कमीशन लेता है।
साभार दैनिक जागरण कानपुर संसकरण 5 जुलाई 2010

शनिवार, 8 मई 2010

एक ईमेल जो कि वैयक्तिक जानकारी चाहती है।



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From: Windows Live Team (kachepaverah@hotmail.com)
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Sent: 06 May 2010 20:25PM
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सोमवार, 5 अप्रैल 2010

अनचाही फोन कॉल वाले मोबाइल नंबर की लोकेशन का पता लगाइए..



अनचाही फोन कॉल वाले मोबाइल नंबर की लोकेशन का पता लगाइए..

गुरुवार, 25 मार्च 2010

घातक एवं लाइलाज बीमारी है डी.वी.टी.



इसको जानने के लिए यहाँ चटका लगाये।

साथ मे यह भी देखिये कुदरत का कमाल।

बुधवार, 24 मार्च 2010

भारत का सबसे पुराना जीवंत मंदिर



आस्तिको नास्तिको इतिहासकारो आलोचको, बहसकारो के लिए बढ़िया मसाला यह है भारत का सबसे पुराना जीवंत मंदिर जानने के लिए एक चटका लगाये।

भारत का सबसे पुराना जीवंत मंदिर



आस्तिको नास्तिको इतिहासकारो आलोचको, बहसकारो के लिए बढ़िया मसाला यह है भारत का सबसे पुराना जीवंत मंदिर जानने के लिए एक चटका लगाये।

गुरुवार, 18 मार्च 2010

कैसर की रोकथाम



कैसंर की रोकथाम के लिए यहाँ देखे

शनिवार, 27 फ़रवरी 2010

कारावास से मुक्त भगवान राम




10 साल बाद कारावास से मुक्त राम
कानपुर, जागरण प्रतिनिधि : सतयुग में तो भगवान राम ने सीता माता, अनुज लक्ष्मण के साथ 14 साल का वनवास भोगा ही था कलियुग में भी तीनों को 10 साल का वनवास भोगना पड़ गया। वह भी बादशाही नाका थाने के सीलन व बदबू भरे मालखाने में चरस, स्मैक, तमंचा, अवैध कारतूसों के साथ। दस साल पहले वर्ष 2000 में बादशाही नाका पुलिस ने कई सौ साल पुरानी अष्टधातु की भगवान राम, सीता व लक्ष्मण की मूर्तियां बरामद की थीं। इन्हें थाने के मालखाने में रख दिया गया। पुलिस ने जिन्हें चोर बताया उन्हें फास्ट ट्रैक कोर्ट चार ने बरी कर दिया, लेकिन मूर्तियां मालखाने में रखी रह गयीं। मूर्तियों का क्षरण होने का सवाल लोकसभा में उठा। तत्कालीन थानाध्यक्ष के अनुरोध पर एडीजे फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मूर्तियां संग्रहालय में रखने की अनुमति दी। 29 नवंबर 2008 को एसएसपी ने और अंत में 12 दिसंबर 2008 को तत्कालीन जिलाधिकारी अनिल कुमार सागर ने मूर्तियों को संग्रहालय भेजने के आदेश कर दिये, पर मूर्तियां बाहर नहीं आ सकीं। सोशलिस्ट लायर्स काउंसिल के अध्यक्ष पंकज अग्रवाल ने दैनिक जागरण की खबरों के आधार भगवान राम को मुक्त करा संग्रहालय पहुंचाने का प्रयास शुरू किया। पहले तो अधिकारियों ने ध्यान ही नहीं दिया लेकिन उन्होंने अपने स्तर पर लखनऊ स्थित संग्रहालय से बात की। इसके बाद अधिकारी सक्रिय हुए। आखिर शुक्रवार सुबह भगवान राम, सीता माता व लक्ष्मण की मूर्तियों को मालखाने से निकाला गया और दीवान के साथ इन्हें संग्रहालय भेजा गया। बादशाही नाका थानाध्यक्ष जय सिंह ने बताया कि सुबह मूर्तियां मालखाना से निकाल कर दीवान ज्ञान सिंह के हाथों संग्रहालय भेज दी गयीं।

साभार दैनिक जागरण कानपुर 27.02.2010

बुधवार, 10 फ़रवरी 2010

माँ की ममता




माँ की ममता फिर बच्चे अपने हो या दूसरे के

शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2010

धर्म का सच्चा रुप




धर्म कौन बड़ा है शायद इसका उत्तर इससे बेहतर नहीं हो सकता है।
साभारः दैनिक जागरण दिनांक 05.02.2010

बुधवार, 13 जनवरी 2010

विवेकानंद मंत्र



स्वदेश मंत्र
ऐ भारत ! क्या दूसरों की ही हाँ में हाँ मिलाकर, दुसरों की ही नकल कर, दूसरों का ही मूँह ताककर इस दासों की-सी दुर्बलता, इस घृणित, जघन्य निष्ठुरता से ही तूम बड़े-बड़े अधिकार प्राप्त करोगे? क्या ङसी लज्जास्पद कापुरषता से तुम वीरभोग्य स्वाधीनता प्राप्त करोगे? ऐ भारत ! तुम मत भूलना कि तुम्हारी स्त्रियों का आदर्श सीता, सावित्री, दमयन्ती हैं; मत भूलना कि तुम्हारे उपास्य सर्बत्यागी उमानाथ शंकर हैं; मत भूलना कि तुम्हारा विवाह, धन और तुम्हारा जीवन इन्द्रियसुख के लिये - व्यक्तिगत सुख के लिये - नही है। मत भूलना कि तुम जन्म से ही माता के लिये बलिस्वरुप रखे गये हो, मत भूलना कि तुम्हारा समाज उस विराट् महामाया की छायामात्र है; तुम मत भूलना कि नीच, अज्ञानी, दरिद्र, चमार और मेहतर तुम्हारा रक्त और तुम्हारे भाई हैं। ए बीर! साहस का आश्रय लो। गर्व से बोलो कि मैं भारतवासी हैं और प्रत्येक भारतवासी मेरा भाई है; बोलो कि अज्ञानी भारतवासी, दरिद्र भारतवासी, ब्राह्मण भारतवासी, चाण्डाल भारतवासी, सब मेरे भाई हैं; तुम भी केवल कमर में ही कपड़ा लपेट गर्व से पुकारकर कहो कि भारतवासी मेरा भाई है, भारतवासी मेरे प्राण हैं, भारत की देवदासियाँ मेरे ईश्वर हैं, भारतवासी भारत का समाज मेरी शिशुसज्या, मेरे यौवन का उपवन और सेरे वार्धव्य की वाराणसी है। भाई बोलो कि भारत की मिट्टी मेरा स्वर्ग है, भारत के कल्याण में मेरा कल्याण है; और रातदिन कहते रहो कि --- “हे गौरीनाथ ! हे जगदम्बे! मुझे मनुष्यत्व दो। माँ मेरी दुर्बलता और कापुरषता दूर कर दो, माँ मुझे मनुष्य बना दो।” स्वामी विवेकानन्द

स्वामी विवेकानन्द की स्मृति में



श्रीविवेकानन्दगीतिस्तोत्रम

मूर्त महेश्वर मज्ज्वल भास्कर मिष्टममरनरवन्द्धम् ।
वन्दे वेदतनुमज्झितगर्हितकाञ्चनकामिनीबनन्धम ।1।
कोटिभानुकरदीप्तसिंहमहोकटितटकौपिनवन्तम् ।
अभीरभीहुङकारनादितदिङमुखप्रचण्डताण्डवनृत्यम ् ।2।
भुक्तिमुक्तकृपाकटाक्षप्रेक्षणमघदलविदलनदक्षम् ।
बालचन्द्रधरमिन्दुवन्द्यमिह नौमि गुरुविवेकानन्दम् ।3)

रविवार, 3 जनवरी 2010

आधुनिक भिखारी



एक भिखारिन ने आवाज लगाई
माँ घर से निकल कर बाहर आई
भिखारिन बोली कुछ दे दो खाना
माताजी बोली बाद में आना
बह बोली क्या अभी खाना मना है
माँ बोली नहीं अभी खाना नहीं बना है
जब बन जाएगा मैं तुझे दे दूंगी
वह बोली क्यो आप परेशान होगी
मेरा सेल नं. ले लो मुझे SMS कर देना
मैं खुद आकर ले लूंगी।

आयुष मिश्रा कक्षा 8
मेरा पुत्र

नववर्ष का तोङफा



नववर्ष का प्रथम था वार
कुत्ते को आया मुझपर प्यार
डर कर उसको मारा चाँटा
उसने मुझे पलटकर काटा
मैंने किया डॉक्टर को फोन
डॉक्टर बोला हैलो कौन
मैने कहा कुत्ते ने मुझे काटा
मैने मारा उसको चाँटा
मै हो रहा हूँ बीमार
आपका है इन्तजार
डॉक्टर ने कहा तू मेरे उसूल को नहीं जानता
मैं रात 8बजे के बाद किसी को नही जानता
मैने कहा डॉक्टर बड़ी परेशानी है कैसे बतलाऊं
मैतो आपको उसूलो को जानता हूँ पर मै
उस कुत्ते को कैसे समझाऊं

आयुष मिश्रा कक्षा 8
केन्द्रीय विद्यालय-1
पोर्टब्लेयर.
मेरा पुत्र

रविवार, 27 दिसंबर 2009

वीर सावरकर के शब्द

Veer Savarkar once started addressing a public meeting in Hindi at Bangalore .
The crowd started shouting "Speak in Kannada. We will hear only in kannada."
Veer Savarkar replied " Friends, I have spent 14 years of rigorous imprisonment in ill famous Andaman Jail where all freedom fighters were kept in jail. I have learned Bengali from the freedom fighters coming from Bengal , Hindi from those coming from Uttar Pradesh, even gujarathi and
punjabi. Unfortunately there was none from Karnataka from whom I could have learned Kannada."
...and there was pin drop silence.