शनिवार, 27 फ़रवरी 2010
कारावास से मुक्त भगवान राम
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10 साल बाद कारावास से मुक्त राम
कानपुर, जागरण प्रतिनिधि : सतयुग में तो भगवान राम ने सीता माता, अनुज लक्ष्मण के साथ 14 साल का वनवास भोगा ही था कलियुग में भी तीनों को 10 साल का वनवास भोगना पड़ गया। वह भी बादशाही नाका थाने के सीलन व बदबू भरे मालखाने में चरस, स्मैक, तमंचा, अवैध कारतूसों के साथ। दस साल पहले वर्ष 2000 में बादशाही नाका पुलिस ने कई सौ साल पुरानी अष्टधातु की भगवान राम, सीता व लक्ष्मण की मूर्तियां बरामद की थीं। इन्हें थाने के मालखाने में रख दिया गया। पुलिस ने जिन्हें चोर बताया उन्हें फास्ट ट्रैक कोर्ट चार ने बरी कर दिया, लेकिन मूर्तियां मालखाने में रखी रह गयीं। मूर्तियों का क्षरण होने का सवाल लोकसभा में उठा। तत्कालीन थानाध्यक्ष के अनुरोध पर एडीजे फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मूर्तियां संग्रहालय में रखने की अनुमति दी। 29 नवंबर 2008 को एसएसपी ने और अंत में 12 दिसंबर 2008 को तत्कालीन जिलाधिकारी अनिल कुमार सागर ने मूर्तियों को संग्रहालय भेजने के आदेश कर दिये, पर मूर्तियां बाहर नहीं आ सकीं। सोशलिस्ट लायर्स काउंसिल के अध्यक्ष पंकज अग्रवाल ने दैनिक जागरण की खबरों के आधार भगवान राम को मुक्त करा संग्रहालय पहुंचाने का प्रयास शुरू किया। पहले तो अधिकारियों ने ध्यान ही नहीं दिया लेकिन उन्होंने अपने स्तर पर लखनऊ स्थित संग्रहालय से बात की। इसके बाद अधिकारी सक्रिय हुए। आखिर शुक्रवार सुबह भगवान राम, सीता माता व लक्ष्मण की मूर्तियों को मालखाने से निकाला गया और दीवान के साथ इन्हें संग्रहालय भेजा गया। बादशाही नाका थानाध्यक्ष जय सिंह ने बताया कि सुबह मूर्तियां मालखाना से निकाल कर दीवान ज्ञान सिंह के हाथों संग्रहालय भेज दी गयीं।
साभार दैनिक जागरण कानपुर 27.02.2010
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