आज एसे ब्लाग पर ज्ञानदत्त पांडेय की रचना देख रहा था भाई बहुत सही लिखा है वैसे ऐसी ही रचनाओं का सरिता वालो को इंतजार रहता है ताकि तर्क कुतर्क करके और किसी भी तरह से हिन्दू धर्म को गरिया सके क्योंकि उनकी तो दुकान ही इसी तरह चल रही है यदि पाठक लेख पढ़ना चाहे तो नीचे दिया जा रहा है।
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1 टिप्पणी:
मैने इस कोण से सोचा नहीं था!
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