बुधवार, 17 अक्तूबर 2007

राम की महिमा

आज एसे ब्लाग पर ज्ञानदत्त पांडेय की रचना देख रहा था भाई बहुत सही लिखा है वैसे ऐसी ही रचनाओं का सरिता वालो को इंतजार रहता है ताकि तर्क कुतर्क करके और किसी भी तरह से हिन्दू धर्म को गरिया सके क्योंकि उनकी तो दुकान ही इसी तरह चल रही है यदि पाठक लेख पढ़ना चाहे तो नीचे दिया जा रहा है।
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1 टिप्पणी:

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

मैने इस कोण से सोचा नहीं था!