गुरुवार, 19 जुलाई 2012
बागवान और बच्चे
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आज (19.07.2012) को दैनिक जागरण कानपुर संस्करण में एक खबर पढ़ी के बागवान को छोड़ गये लावारिस। यह घटना यानी 18.07.2012 की है। इसी दिन मेरे ब्लाक में एक कुतियां के 7 बच्चो में से एक की मृत्यु हो गयी। उसको बचाने के लिए उसने हर वो प्रयास किया जो एक जानवर एक माँ कर सकता था। जहाँ से उसे रोटी मिल जाती था हर उस दरवाजे पर उसको रखा, कुछ देर के लिए धूप में रखा, लगाता चाटती रही। पर जब न बचा सकी तो कल से आजतक बिल्कुल चुपचाप पड़ी रही न किसी का दिया खाना ही खाया न ही जिनको देखकर पूंछ हिला कर प्रेम प्रकट करती वो ही किया। इस घटना से बार सोचता हूँ कि जैसे लोग बुजर्ग माँ बाप को कहीं छोड़कर चले जाते है कुछ झंझटों से बचने के लिए। अगर इस दुनिया में माँ बच्चे पालने के झंझट से मुक्ति पाने के लिए बच्चो को छोड़ने लगी तो इस प्रकृति एवं समाज का क्या होगा।
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