सोमवार, 5 मार्च 2012
सरस्वती देवी की पूजा
अक्सर किसी भी समारोह की शुरुआत सरस्वती देवी की पूजा के द्वारा ही होती है। और यह पूजा करने का (दीप जलाकर) एक मात्र अधिकार मुख्य अतिथि का ही होता है। पर इस परम्पर का निर्वाह करने वाला (मुख्य अतिथि) शायद कभी जूते उतार कर सरस्वती देवी की पूजा करता हो। परन्तु बाते भारतीय संस्कृति की करेंगा। ताली भी खूब बजती हैं। परन्तु कभी मुख्य अतिथि से जूते उतार कर पूजा करने को कोई नहीं कहता और मुख्य अतिथि भी ऐसा करनें में अपना अपमान समझता है। मैं अभी तक जितने भी समारोह मे गया मुझे अभी तक ऐसा अनुभव नहीं हुया जब किसी मुख्य अतिथि ने दीप जूता उतार कर जलाया हो।
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1 टिप्पणी:
Nice Blog!
Thanks for the Nice Post.
But I thing you may make it in English.
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