गुरुवार, 14 अक्टूबर 2010
गुरुवार, 7 अक्टूबर 2010
मंगलवार, 5 अक्टूबर 2010
Portblair
जब चाहे मिल लो मेरा दर खुला है। गर किसी बहाने का इंतजार है
पोर्ट ब्लेयर आजादी दीवानो की जमी बस जनाब बहाना तैयार है
एक नाम कालापानी भी है इसका पर दीवानों ने हस कर झेला है।
लगाया गले कालापानी को देश के लिए छोड़कर अपना परिवार
न मिल सके दुबारा परिवार से देश हित हर जुल्म सह गये वो
ऐसी जगह पर पर आयें जनाब देख कर आ जायेगा आख में पानी
देख लीजिये आकर खुद न था आजादी दीवानो का कोई सानी।
लेबल:
आज़ादी के दीवाने,
पोर्ट ब्लैर
रुपये का नया चिन्ह टंकण हेतु
रुपये का नया चिन्ह बस एक चटका दूर
सोमवार, 4 अक्टूबर 2010
शनिवार, 2 अक्टूबर 2010
गाँधी जी के संबंध कुछ अनसुलझे प्रश्न
गाँधी जी के संबंध कुछ अनसुलझे प्रश्न
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